"मेरे दादा जी ने मुझे जो पेन गिफ्ट किया था, वह आज तक मेरे पास है। यह सिर्फ एक साधारण पेन नहीं, बल्कि एक यादगार धरोहर बन चुका है। इस पेन से ही मैंने 5 PhD की, और इसने न केवल मेरी शिक्षा में मदद की, बल्कि यह एक प्रेरणा स्रोत भी बना। अब जब मैं 50 साल का हो गया हूँ, तो मुझे यह लगता है कि यह समय है कि मैं इस खास पेन को अपने पोते को गिफ्ट करूं, ताकि वह भी इस पेन के साथ अपनी यात्रा शुरू कर सके, जैसे मैंने की थी। यह पेन मेरे लिए सिर्फ एक लेखन उपकरण नहीं है, बल्कि मेरे दादा जी की यादों और आशीर्वाद का प्रतीक है।"